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पोरिफेरा संघ


इस संघ के प्राणियों को सामान्यत: स्पंज कहते हैं और वे आमतौर पर समुद्री तथा अधिकतर विषम प्राणी होते हैं|

पोरिफेरा : "पोरी" = छिद्र, "फेरा" = वाहक

संगठन का स्तर : सेलुलर

गुहा (Coelom) : अनुपस्थित

श्वसन प्रणाली : अनुपस्थित

पाचन तंत्र : अनुपस्थित

परिसंचरण तंत्र : अनुपस्थित

यह सब आघ्रबहुकोशिक प्राणी हैं जिनका शरीर संगठन कोशिकीय स्तर का है| स्पंजो में जल परिवहन तथा नालतंत्र पाया जाता है| जल सूश्म रंध्र आँस्ट्रिया द्वारा शरीर की केंद्रीय स्पंज गुआ(सपंजोशील) में प्रवेश करता है एवं बड़े रंघ्र आँस्कुलम द्वारा बाहर निकलता है| जल परिवहन का यह मार्ग भोजन जमा करने, श्वसन तथा अपशिष्ट पदार्थों को उत्सर्जित करने में सहायक होता है| कोऐनोसाइट या कॉलर कोशिकाएं स्पंजगुहा तथा नालतंत्र को स्तरित करती हैं, कोशिकाओं में पाचन होता है जिसको अंतराकोशिका कहते है|

कंकाल शरीर को आधार प्रदान करता है जो कंटिकाओं एवम स्पंजिन तंतुओ का बना होता है|

स्पंज प्राणियों में नर तथा मादा पृथक नहीं होते है| वह उभयलिंगाश्रयी होते हैं| अंडे तथा शुक्राणु दोनों एक द्वारा ही बनाए जाते हैं और अलैंगिक जनन विखंडन द्वारा तथा लैंगिक जनन युवकों द्वारा होता है| निषेचन आंतरिक होता है तथा परिवर्धन अप्रत्यक्ष होता है, इसके वयस्क से भिन्न आकृति की लार्वा अवस्था पाई जाती है|

उदाहरण

साइकन (साइफा)युस्पंजियास्पंजिला
साइकन यूस्पंजिया स्पंजिला

साइकॉन्स अकेले या औपनिवेशिक समुद्री स्पंज होते हैं जो चट्टानों से जुड़े उथले पानी में पाए जाते हैं। इनके शरीर का आकार बेलनाकार होता है, जिसमें अनेक बीजाणु होते हैं। रेडियल कैनाल फ्लैगेलेटेड कोशिकाओं से बनी होती है। ये प्रजातियां प्रजनन के यौन और अलैंगिक दोनों तरह से होती हैं।

यूस्पोंजिया पूरे भूमध्य सागर में चट्टानी सतहों पर पाया जाता है। उनके पास छोटे द्वार होते हैं जो ऊंचे होते हैं और शंकु के आकार के अंतराल होते हैं जिन्हें शंकु कहा जाता है। लोब के सिरे पर एक छोटा मुँह जैसा छिद्र होता है जिसे ऑस्कुला कहा जाता है। उनके एक्टोसोमल कंकाल में प्राथमिक और द्वितीयक स्पोंगिन फाइबर होते हैं जो एक साथ कंनुलोज उद्घाटन बनाते हैं। उनके पास एक choanosomal कंकाल भी होता है जिसमें द्वितीयक तंतुओं का एक गहरा जाल होता है जिससे प्राथमिक तंतु उत्पन्न होते हैं। ये प्राथमिक तंतु स्पंजिन से बने होते हैं और इनमें अन्य कण होते हैं जैसे रेत के दाने और स्पिक्यूल्स और द्वितीयक तंतु केवल स्पंजिन से बने होते हैं और कोई अन्य कण मौजूद नहीं होते हैं।

प्राथमिक तंतु: व्यास में 50-100 नैनोमीटर

द्वितीयक तंतु: व्यास में 20-36 नैनोमीटर।

स्पोंजिला मुख्य रूप से तालाबों, नालों, झीलों में जलमग्न पौधों और डंडों पर उगने वाले पाए जाते हैं। शरीर की दीवार में ओस्टिया नामक छिद्रों के साथ प्रदान की जाने वाली पतली त्वचा होती है। उनके पास एक रेगन प्रकार का नालतंत्र है। वे लैंगिक और अलैंगिक दोनों तरह से प्रजनन करते हैं।