eguruchela

आर्थ्रोपोडा संघ


यह एनिमिया प्राणि जगत का सबसे बड़ा संघ है जिसमें कीट भी शामिल हैं। पृथ्वी पर सभी नामित प्रजातियों में से दो-तिहाई से अधिक आर्थ्रोपोडा हैं।

उनके पास अंग-तंत्र स्तर का संगठन है।

वे द्विपार्श्व सममित, ट्रिपलोब्लास्टिक, विखंडित और प्रगुही प्राणी हैं।

आर्थ्रोपोड्स का शरीर काईटीनी वाहिकंकल से ढका होता है।

शरीर में सिर, वक्ष और पेट होते हैं।

उनके पास संधियुक्त पाद होता हैं।

श्वसन अंग गलफड़े, पुस्त गलफड़े, पुस्त फेफड़े या श्वासनिकाओं के द्वारा होता हैं। परिसंचरण तंत्र खुले प्रकार का होता है। संवेदी अंग जैसे एंटीना, आंखें (सामान्य और संयुक्त), संतुलनपुटी मौजूद होते हैं।

मैलपिगी नलिकाओं द्वारा उत्सर्जन होता है।

नर व मादा पृथक होते हैं। निषेचन आमतौर पर आंतरिक होता है। वे ज्यादातर अंडाकार होते हैं। परिवर्धन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हो सकता है।

उदाहरण

आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण कीट :

एपिस (मधुमक्खी), बॉम्बिक्स (रेशम कीट), लैसिफर (लाख कीट)

रोग वाहक कीट :

वेक्टर - एनोफिलीज, क्यूलेक्स और एडीज (मच्छर) ग्रेगरियस कीट - टिड्डी (लोकस्टा)

जीवित जीवाश्म :

लिमुलस (राज कर्कट किंग क्रेब )।

संगठन का स्तर : अंगतंत्र

समरूपता : द्धिपार्श्व

गुहा (Coelom) :प्रगुही

श्वसन प्रणाली : उपस्थित

पाचन तंत्र :पूर्ण

परिसंचरण तंत्र : उपस्थित

टिड्डीतितलीबिच्छूझींगा

टिड्डी

तितली

बिच्छू

झींगा