मोलस्का संघ
यह दूसरा सबसे बड़ा प्राणी संघ है। मोलस्क स्थलीय या जलीय होते हैं जिनमें अंग-तंत्र स्तर का संगठन होता है। वे द्विपार्श्व सममित, ट्रिपलोब्लास्टिक और प्रगुही प्राणी हैं।
शरीर अखंडित जिसमे सिर, पेशीय पाद और एक अंतरंग ककुद होता है। त्वचा की एक नरम और स्पंजी परत आंत के ककुद के ऊपर एक प्रावार बनाती है।
ककुद और प्रावार के बीच के स्थान को प्रावार गुहा कहा जाता है जिसमें पंख जैसे क्लोम मौजूद होते हैं जो श्वसन और उत्सर्जन दोनों में सहायक होते हैं।
सिर पर संवेदी स्पर्शक होते हैं। भोजन के लिए मुंह में एक रेती की तरह घिसने का अंग होता है, जिसे रेटीजिह्या (रेडुला) कहा जाता है।
वे आम तौर पर अप्रत्यक्ष के साथ नर-मादा और अंडाकार होते हैं।
उदाहरण:
पाइला (सेब घोंघा), पिंकटाडा (मुक्ता शुक्ति), सीपिया (कटलफिश), लोलिगो (स्क्वीड), ऑक्टोपस (बेताल मछली), एप्लाइसिया (समुद्री खरगोश), डेंटेलियम (रद कवचर) और कीटोप्लयूरा (कइटन)।
संगठन का स्तर : अंगतंत्र
समरूपता : द्धिपार्श्व
गुहा (Coelom) :प्रगुही
श्वसन प्रणाली : उपस्थित
पाचन तंत्र :पूर्ण
परिसंचरण तंत्र : उपस्थित
पाइला | ऑक्टोपस |
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