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मोनेरा जगत का वर्गीकरण


बैक्टीरिया सोल मेम्बर्स हैं, वे सबसे प्रचुर मात्रा में सूक्ष्म जीव हैं। बैक्टीरिया लगभग हर जगह होते हैं और मुट्ठी भर मिट्टी में मौजूद होते हैं। वे गर्म झरनों, रेगिस्तानों, बर्फ और गहरे महासागरों जैसे अत्यधिक आवासों में रहते हैं, और उनमें से कई परजीवी या अन्य जीवों के रूप में रहते हैं।

Habitat :

. मुख्य तौर से पाये जाने वाले मेम्बर बैक्टीरिया होते है ।
. सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला सूक्ष्म जीव होता है ।
. एक मुट्ठी मिट्टी में सैकङो बैक्टीरिया मिल जाते है ।
. जहाँ पर जीवन मुश्किल होता है यह वहाँ भी पाये जाते है ।

Shape:

. गोलाकार ----> कॉकस (Cocci)
. रॉड शेप्ड ---> बैसिलस (बेसिली)
. कामा आकार -> विब्रियम (विब्रियो)
. सर्पिल -------> स्पिरिलम (स्पिरिला)

Size:

0.15 - 1.5 माइक्रोमीटर (व्यास)
1.00 - 20 माइक्रोमीटर (लंबाई)

सबसे छोटा बैक्टीरिया: डायलस्टर न्यूमोसिंट्स (0.15 माइक्रोमीटर)
सबसे बड़ा बैक्टीरिया: ई.फिशेलसनिल (0.3 माइक्रोमीटर)
सबसे लंबा बैक्टीरिया: स्पिरिलम लैडलो (15 माइक्रोमीटर)

वजन: 2 पिकोमीटर

संरचना: बहुत सरल

आघ बैक्टीरिया

ये विशेष प्रकार के बैक्टीरिया होते है। कुछ कठिन वास स्थानों जैसेकि अत्यधिक नमकीन क्षेत्रों (हेलोफी ), गर्म झरने (थर्मोएसिडोफिलस ) और कच्छ क्षेत्रों (मिथेनोजेन) में रहते हैं। आघ बैक्टीरिया अन्य बैक्टीरिया से भिन्न होता है क्योंकि उनकी कोशिका भित्ति की संरचना भिन्न होती है। यह विशेषता विषम परिस्थितियों में उनके जीवित रहने के लिए जिम्मेदार है। भैंस और गाय जैसे कई जुगाली करने वाले जानवरों की आंतों में मिथेनोजेन मौजूद होते हैं। वे इन जानवरों के गोबर से मीथेन (बायोगैस) के उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं। ये प्राचीनतम जीवधारियों के प्रतिनिधि हैं और इन्हें प्राचीनतम जीवित जीवाश्म कहा जाता है।

यूबैक्टेरिया

यूबैक्टेरिया या वास्तविक बैक्टीरिया की पहचान एक कठोर कोशिका भित्ति की उपस्थिति से एवं एक कशाभ (चल बैक्टीरिया) से होती है। सायनोबैक्टीरिया में हरे पौधों के समान क्लोरोफिल होता है और ये प्रकाश संश्लेषक स्वपोषी होते हैं। साइनोबैक्टीरिया एककोशिकीय, औपनिवेशिक या फिलामेंटस, मीठे पानी/समुद्री या स्थलीय शैवाल हैं। क्लोनी आमतौर पर एक जेलीनुमा आवरण से ढकी होती हैं। वे अक्सर प्रदूषित जल में बहुत फलते फूलते हैं। विषमपोषी जीवाणु प्रकृति में सर्वाधिक प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। बहुसंख्यक महत्वपूर्ण डीकंपोजर हैं। उनमें से कई का मानव पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है ये दूध से दही बनाने, एंटीबायोटिक बनाने, दालों में नाइट्रोजन स्थिर करने में सहायक होते हैं।